Maa Ki Antarvasna Story में दोस्तों आप सभी को अपनी माँ की सचाई अन्तर्वासना कहानी बताने जा रहा हूँ. मेरी माँ एक स्कूल टीचर हैं. एक दिन मैं किसी जरुरी काम से स्कूल गया तो अपनी माँ को चौकीदार से चुदते हुए देख लिया तो मैंने क्या किया?
दोस्तो, आज मैं आपको अपने परिवार और मेरी माँ की चुदाई कहानी बताने जा रहा हूँ। मेरा नाम विनोद है और मैं 19 साल का हूँ। मेरी माँ मेरी एकमात्र सदस्य है। मेरे पिता का एक साल पहले निधन हो गया था। मम्मी गांव के एक शिक्षण संस्थान में शिक्षक हैं। मैं इसी साल कॉलेज में दाखिला लिया।
हम दोनों की ज़िन्दगी बहुत खुशियों से भरी हुई है। मम्मी हर दिन स्कूल जाती हैं और मैं कॉलेज जाता हूँ।
मेरी माँ की उम्र सिर्फ चालीस वर्ष है। नीतू उनका नाम है। किसी को भी उनके शरीर का आकार पागल बना देता है। वह सब कुछ मुझे बताती है।
उन्होंने बताया कि उनके स्कूल में केवल तीन कर्मचारी हैं: एक हेडमास्टर, एक चौकीदार और तीसरी मेरी माँ।
हैडमास्टर जल्द ही 58 साल की उम्र में सेवानिवृत हो जाएगा। चौकीदार की उम्र करीब 32 साल है और वह शादी नहीं कर चुकी है। वह बहुत प्रयास करने पर भी शादी नहीं कर पाई। यही कारण है कि वह हमेशा परेशान रहता है। मम्मी अक्सर मुझसे उसका जिक्र करती हैं।
वह चौकीदार कल्लू है। वह दिखता है जैसा नाम है। छह फिट की हाईट और पूरी तरह से काला शरीर है। मैंने देखा है कि वह हमारे घर अक्सर आता है।कल्लू अपनी माँ से बहुत मज़ाक करता है, लेकिन माँ कभी उसे बुरा नहीं मानती।
मम्मी कहती है कि स्कूल में बहुत काम है, इसलिए वह देर से घर आएगी। मैं उनका विश्वास करता हूँ। लेकिन कभी-कभी मुझे उनके व्यवहार पर संदेह होता है। क्योंकि देर से आने पर उनके चेहरे पर थकान नहीं होती, बल्कि खुशी होती है। मैं उनका यह व्यवहार नहीं समझता।
एक दिन फिर मम्मी ने लेट आने की कही । मैंने निर्णय लिया कि आज कुछ भी हो जाए, लेकिन मैं यह जान कर ही रहूँगा की उनको कहा लेट होता हैं।
मैं कॉलेज से सीधे माँ के स्कूल गया। स्कूल की छुट्टी 15 मिनट में होने वाली थी। मैं स्कूल से थोड़ा दूर बैठ गया।
फिर 15 मिनट में स्कूल बंद हो गया। मैं दूर से बैठकर यह सब देख रहा था सभी बच्चे स्कूल से जाने लगे।
दस मिनट बाद हैडमास्टर साहब भी स्कूल से चले गए, लेकिन मम्मी नहीं जानती थी। फिर मैं सब कमरों में ताले लगाते हुए कल्लू चौकीदार को देखा। ताले लगाने के बाद वह एक कमरे में घुस गया और दरवाजा अंदर से बंद कर दिया।
मैं स्कूल में बहुत जल्दी आ गया। मैं उस कमरे की ओर चला गया, जहां कल्लू चला गया था। वह कमरे से बाहर था।
मैं अंदर क्या हो रहा था समझ नहीं पाया। मैं बहुत परेशान था। मैंने उस कमरे में अंदर की आवाजों को सुनने की कोशिश की। भित्र से मेरी माँ की फुसफुसाहट की आवाज आई। मैंने समझा कि अंदर कुछ गड़बड़ है।
जब मैंने अंदर की ओर देखने की कोशिश की, तो अद्भुत दृश्य सामने आया। कल्लू बिस्तर बिछा रहा था और मेरी माँ एक ओर खड़ी हुई थीं। धीरे-धीरे मम्मी अपनी साड़ी उतार रही थीं।
मम्मी ने साड़ी को कुर्सी पर रख दिया। अब वे केवल ब्लाउज और पेटीकोट पहनते थे। किसी को भी उनका भरा भरा शरीर पागल बना सकता था।
मैं यह सोच कर हैरान हो गया कि माँ ने चौकीदार को अपने शरीर का रसपान कराते देखा। कल्लू पहले अपनी कमीज उतार रहा था, फिर अपनी पैंट।
वह अपनी माँ से पूछ रहा था कि आज नीतू रानी कौन सी स्टाइल में चुदवाओगी?
मम्मी ने कहा, “जिस भी तरह चोद सको चोद दो।” मेरी चुत की गर्मी कम करो।
मम्मी की ऐसी भाषा सुनकर मैं हैरान रह गया। मुझे यकीन नहीं था कि यह मेरी माँ है।
फिर माँ ने अपना ब्लाउज भी उतारा। कल्लू केवल अंडरवियर में खड़ा था और ऊपर से अपना लंड सहला रहा था।
मम्मी ने पूछा, “यह सहलाते ही रहोगे या यह लंड काम भी करेगा?”
रानी, कल्लू ने कहा, “यह लंड तुम्हारी प्यास को शांत करेगा।”
मैंने मम्मी को केवल पेंटी में खड़ा देखा। वो ऊपर से नीचे तक पूरी तरह से नंगी थीं। उनकी बड़ी बड़ी चूचियां मक्खन की तरह नरम लग रही थीं। आज मैं चूचियों का साइज समझ पा रहा था।
मम्मी की चूचियां ऐसी थीं जैसे किसी ने दो खरबूजे उसके सीने पर चिपका दिए हों। मम्मी की दोनों चूचियों का शेप बराबर था।
मम्मी का शरीर इतना सुंदर था कि कोई भी उनसे शादी करने के लिए उत्सुक था। उनका शरीर पत्थर को तराशने जैसा था।
वह अब मेरे लिए मेरी माँ नहीं थी, बल्कि एक औरत थी जो यौन समागम के लिए प्यासी थी।
यह विचार मन में आते ही मेरी माँ को देखने का तरीका बदल गया। अब मुझे लगता था कि वह सही काम कर रही थीं। उन्हें अपनी शारीरिक भूख और अन्तर्वासना मिटाने का पूरा अधिकार है।
अब चौकीदार के रूप में मैं अपनी माँ का पति जानने लगा, जो उनकी शारीरिक जरूरतों को पूरा कर रहा था। वह दोनों जो सेक्स कर रहे थे, सभी को उसका हक़ होना चाहिए।
फिर मैंने अपने विचारों को दूर कर दिया और माँ की रासलीला को देखने लगा।
कल्लू माँ के पास गया और उसके होंठों को माँ के होंठों से लगाया। वे एक दूसरे को किस कर रहे थे। मम्मी की जीभ कल्लू के मुँह में थी, और कल्लू उसे चूस रहा था। कल्लू मेरी माँ की चूचियाँ पकड़े हुए था। बीच-बीच में कल्लू माँ की चूचियों पर जोर से दबाता था, जिससे माँ चिहुंकती थीं।
मम्मी की चूचियों की घुंडियों को कभी-कभी कल्लू अपनी दो उंगली से मसल देता था।
फिर कल्लू ने मम्मी की पेंटी उतार दी और दूसरी ओर चली गई। मम्मी की चिकनी जांघों ने केले के तने को मात दी। मैंने ध्यानपूर्वक देखा कि माँ की चूत पूरी तरह से साफ थी..। वहाँ बाल नहीं थे। मम्मी की चूत शीशे की तरह चिकनी और टाइट लगी। मम्मी की गुलाबी चूत दूर से दिखाई देती थी।
मम्मी की चूचियों को कल्लू मुँह में भरकर चूसने लगा। वह माँ की पूरी चूची को अपने मुँह में भरने का असफल प्रयास कर रहा था, लेकिन माँ की चूचियां उसके मुँह से बड़ी थीं।
मम्मी आहें भर रही थीं.
फिर कल्लू ने अपना अंडरवियर उतार दिया, और माँ ने उसके काले और विकराल लंड को सहलाने लगा। उसका लंड कम से कम ढाई इंच मोटा और नौ इंच लम्बा होगा। उसने अपनी माँ को गोदी में उठा लिया और फिर उसे बिस्तर पर लिटा दिया।
कल्लू माँ के ऊपर आकर 69 की मुद्रा में उनकी चूत चाटने लगा। वह अपनी जीभ से माँ की चूत के दाने को कभी-कभी छेड़ता, तो माँ कसमसा जाती।
मम्मी के मुँह पर चौकीदार का लंड आ रहा था। अब मम्मी ने अपना लंड मुँह में लेकर चूसने लगी।मम्मी कोशिश कर रही थी कि वह अपने मुँह में अधिक से अधिक लंड ले। लेकिन मम्मी केवल पांच इंच तक ही मुँह में लंड ले पाईं।
थोड़ी देर बाद, कल्लू ने माँ की दोनों टांगें ऊपर कर दीं। उसने मम्मी की चूत पर जोर से झटका मारा।
मम्मी की चूत में आधे से अधिक लंड घुस गया। मम्मी के चेहरे पर हल्की परेशानी छा गई..। लेकिन थोड़ी देर बाद वह अपने चूतड़ों को उठाने लगी।
कल्लू को संकेत मिल गया था। उसने धीरे-धीरे पूरा लंड अपनी माँ की चूत में डाल दिया। मम्मी की चूत उसके पूरे लंड से भर गई।
फिर उसने तेज झटके मारने लगे। मम्मी चूतड़ों को उठा उठा कर सिसिया रही थीं।
दस मिनट की धकापेल के बाद, उसने अपना लंड मेरी माँ की चूत से बाहर निकाला। उसने माँ को खड़ा होने को कहा।
उसने अपना लंड फिर से मम्मी की चूत में घुसेड़ दिया जब वह खड़ी हुई, उसने मम्मी की दोनों टांगों के बीच अपने हाथ डालकर दीवार पर टिका दिया। अब कल्लू जैसा पहलवान धीरे-धीरे मम्मी को चोद रहा था, जो एक छोटी-सी गुड़िया की तरह दिखती थी। जिसे कल्लू की तरह पहलवान धमाधम उसे चोद रहा था।
दस मिनट तक कल्लू मम्मी की चूत पर थप्पड़ मारता रहा। मम्मी अचानक बेल की तरह कल्लू से चिपक गईं। दस बारह धक्कों के बाद, कल्लू ने मम्मी की चूत में अपना रस निकाल लिया।
फिर कल्लू ने मम्मी की पेंटी से उसकी चूत से निकला रस पौंछ दिया।
दोनों ने उठकर अपने कपड़े पहन लिए। मम्मी ने अपनी पेंटी को एक थैली में डालकर उसे अपनी जेब में डाल दिया।
दोनों मुझे देखकर चौंक गए। जब मैंने उसे अपने साथ चलने को कहा, तो वह चुपचाप मेरी मोटरसाईकल पर बैठ गई।
घर आकर माँ पूरी तरह चुप थीं। वह समझ गई कि मैं अब सब जानता हूँ।
मैं अपनी माँ को बताया कि मुझे आप दोनों के इस रिश्ते से कोई परेशानी नहीं है। बल्कि मैं चाहता हूँ कि आप घर पर स्कूल में जो कर रहे हैं, उसे दोहराएँ। अगर कोई दूसरा देखेगा तो ज्यादा बदनामी हो जायेगी।
मेरी बात सुनकर माँ खुश हो गई।
अगले दिन शाम को चौकीदार घर आया और मुझसे कहा कि आपकी माँ से कुछ काम है।
मैंने सोचा कि ये मेरी माँ की चुदाई करने आया है। मैंने उसे अपनी माँ की अन्तर्वासना पूर्ति करने के लिए उसे उसकी माँ के कमरे में भेजा और कहा कि काम अच्छे से करना चाहिए, कल की तरह।
वह मुस्कराया।
मैंने कमरे को बाहर कर दिया। एक घंटे बाद, कल्लू पसीना बहाते हुए दरवाजा खोलकर निकला।
मैंने उससे कहा कि रात को अपनी माँ के पास रहो।
अगले दिन वह वादा करके चला गया।
जब मैं माँ के कमरे में गया, तो वह बेड पर लेटी हुई थीं और चादर ओढ़ी हुई थी। बगल में उनकी पेंटी और पेटीकोट थी। मैंने सोचा कि यह अभी भी अंदर नग्न हैं।
मैंने पूछा, “अब क्या लगता है?”
मम्मी ने कहा कि तुमने मुझे जीवन का सबसे बड़ा उपहार दिया है।
कुछ दिनों के बाद मैंने कल्लू और माँ की शादी करवा दी। शुरू में मम्मी और कल्लू मेरे सामने यौन संबंध नहीं बनाते थे।
लेकिन अब माँ का कमरा खुला रहता है और कल्लू जब चाहे माँ को मेरे सामने चुदाई कर सकता है।
मैं उनके कमरे में हर बार जाता हूँ। तो माँ कभी उसके ऊपर होती है, तो कभी कल्लू उसके ऊपर चढ़ता है।
अब हमारा परिवार सुखी है, मेरी Maa Ki Antarvasna को उनका हमसफ़र मिल चुका है. आपको यह मेरी माँ की चुदाई की कहानी कैसी लगी, कृपा करके कमेंट जरूर करें.