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बारिश के समय गाओ के सरपंच से चुद गयी ( Desi Xxx Chudai Story )

Desi Xxx Chudai Story में पति ने शादी के बाद काम पर चले गए। मेरी चूत सूखी थी। लेकिन मैं नहीं बोली। पर एक दिन गाँव के सरपंच के चल में मैं फस गयी।

शिखा हूँ।
यह बात तब हुई जब मैं हाल ही में शादी करके पत्नी बनकर अपने ससुराल आई थी।

सैंतीस वर्षीय मेरे पति सेना में हैं।

जब वे शादी कर चुके थे, तो एक हफ्ते में अचानक एक कॉल आया और उन्हें तुरंत काम पर जाना पड़ा।
मैंने उन्हें स्टेशन छोड़ दिया।

जब ट्रेन आई, गाँव का सरपंच ट्रेन से उतरा।
मेरे पति ने उनसे मेरा परिचय कराया।

“जब भी कोई बात हो, मुझे अपना समझकर तुरंत बताना,” सरपंच ने बड़े शान से कहा। मैंने “जी” कहा, हालांकि मुझे उनकी भाषा अच्छी नहीं लगी।

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फिर मेरे पति ट्रेन से चले गए, और मैं भरे मन से घर आ गई।

मैं अगली सुबह स्कूल में एक्टिविटी के लिए गया था।

उस दिन मैं रेड कलर का सारा ब्लाउज़ पहना था, जो मुझे बहुत अच्छा लगता था।
शाम को घर चली गई।

स्कूल मेरे घर से दस किलोमीटर दूर है, इसलिए मैं जल्दी पहुँचने के लिए पैदल जा रहा था।

तभी दो लड़के बाइक पर आते हुए गिर पड़े।
उन्हें बहुत चोट लगी।
मैंने तुरंत एक अस्पताल में संपर्क किया।

हॉस्पिटल ने दोनों को उठाया।

बादल गरजने लगे और बिजली कड़कने लगी।

भयभीत होकर मैं एक पेड़ के नीचे रुक गयी।

लेकिन तेज बारिश होने लगी, और मैं पूरी तरह भीग गया।

तब मेरा फोन बज गया।
नवीनतम आंकड़ा था।

मैंने सोचा कि कौन हो सकता है।
रौबदार स्वर ने फोन उठाया और कहा, “वहाँ मत रुको, स्थान सही नहीं है। मेरे घर के सामने आओ। ”

मैं भयभीत होकर वहाँ गया।
सरपंच दरवाजे के सामने खड़ा था।

मैं प्रवेश करके कुर्सी पर बैठ गया।
“अंदर जाकर मेरी वाइफ के कपड़े पहन लो,” सरपंच ने कहा। मैं गया और वार्डरोब खोला।

अंदर एक से अधिक शानदार कपड़े थे।
मैंने जाँघों तक बिना बाँह की शॉर्ट ड्रेस निकाली।
वह अपनी साड़ी को ड्रायर में डालकर बाहर आई।

तब सरपंच ने कहा, “यहाँ आके बैठ जाओ।” ”

जब मैं गया, तो टेबल पर कॉफी और गरमागरम पकौड़े पड़े हुए थे।
“पी लो, खा लो, अच्छा लगेगा।” ”

कहा तो उनकी आँखें चमक उठीं।

मेरी ड्रेस ढीली थी और 32-28-34 की फिगर स्पष्ट थी।
मैं खुलकर जीवन जीने वाले लोगों को पसंद करता था।

उनकी नज़रें मुझे नाप रही थीं, और मैं भी उस माहौल को एंजॉय करने लगी थी।

फिर राणा नामक सरपंच उठकर अंदर गया और जाँघों तक लाल रंग का कपड़ा पहनकर बाहर आया।

“बारिश बहुत तेज़ है, मैं सहेली के साथ हूँ,” मैंने फोन पर कहा। मैं आज नहीं आ पाऊँगा क्योंकि बहुत देर हो जाएगी। ”

गृहस्थों ने कहा, “ठीक है। ”

“स्मार्ट हो,” राणा ने मुस्कुराते हुए कहा। मैंने “शुक्रिया” कहा।

अब वातावरण हंसने लगा।
मैं उठकर सोफे पर बैठ गया।

राणा उठकर मेरे सामने बैठ गए।
“पकौड़े खाओ,” उन्होंने कहा। ”

दोनों खाना खाने लगे।

मैं भी शांति से उन्हें देख रहा था, जबकि उनकी नज़रें मुझे नाप रही थीं।

फिर मैंने सोचा, क्यों न परिवेश को कुछ गर्म कर दें?

मैं अपने दोनों हाथ ऊपर उठा दिया, जिससे मेरे साफ अंडरआर्म्स दिखने लगे।

राणा की दृष्टि तेज हो गई।
मेरे स्कर्ट में हाथ डालकर सहलाना शुरू कर दिया।

मैंने दूर करने का प्रयास किया।
लेकिन वे और भी पास चले गए।

फिर उन्होंने मेरे दूध को मसलने लगे और मेरे दाँतों से मेरे कानों की लौ चबाने लगे।
मैं बोल नहीं पा रहा था।
मैं सिर्फ एक काम सुझा..। मैंने उनके लंड को पकड़ लिया और उनकी जाँघ के किनारे से हाथ अंदर डाला।

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उसे पीछे करके मैं उनकी गीली सुपारी सहलाने लगी।

वह अचानक मुझे पकड़कर सिहर गए और मेरे स्कर्ट के कंधों पर लगे टिच बटन को खोला।
पूरा स्कर्ट कमर पर पड़ा।

फिर मुझे खड़ा कर दिया। जाँघों से होते हुए मेरा कपड़ा ज़मीन पर गिरा।

राणा ने तुरंत अपने कपड़े उतारे और पूरी तरह से नंगा हो गया।
“बहुत सुंदर हो,” वे मुझे देखकर कहा। ”

फिर उन्होंने मुझे कसकर कमर से चिपका लिया।

मेरी नाभि से उनका लंड चढ़ने लगा।

मुझे पूरी तरह से पकड़कर बेड के पास ले गए और बेड पर लिटा दिया।
मेरे पैर ज़मीन तक नहीं पहुँच रहे थे क्योंकि बेड इतना ऊँचा था।

फिर वे अपने पैरों से मेरी पुदी को चूसने लगे।
मैं जोर से सिसकारी लेने लगा और उठने का प्रयास किया।
पर मुझे धक्का देकर लेटे रहने दिया।

10 मिनट चूसने के बाद मेरी पुदी पूरी तरह से गीली हो गई।
वे बेड पर आकर मेरे दूध चूसने लगे।

मैं थक गया।
15 मिनट बाद मैंने कहा, “प्लीज़, अब मत तड़पाओ, चलो ना… करो।” “पहले खुलकर बोलो,” उन्होंने कहा। मैं शर्मा गया।

“बोल दो, वरना तड़पाऊंगा,” राणा ने मेरी बोलती आँखें देखकर कहा। “शुरू तो मर्द करते हैं, बाद में हम प्लीज़ कहते हैं,” मैंने कहा। ”

फिर वे मेरी जाँघों पर बैठ गए और मेरी छुई-मुई पुदी पर अपने लौंडे को घिसने लगे।
“अजी, चोदने लगो ना,” मैंने उनकी छाती को पकड़कर कहा। ”

मेरी पुदी पर जोर से धक्का मारा, थूक लगाकर लंड का मुँह सटाया।
उनका कड़ा, लकड़ी जैसा लंड मेरे शरीर में घुसने की कोशिश करने लगा।

मैंने उनकी कमर को पकड़ लिया और मुँह बंद कर लिया।
उन्होंने पहला धक्का जोर से दिया।
मैंने “आह” और “सिस्स” की आवाज़ निकाली।

फिर कुछ बाहर निकालकर और जोर से अंदर डाला।

लंड आधा चूत में घुस गया।

मैं चिल्लाकर उनके लंड को निकालने लगी।
लेकिन उन्होंने फिर से धक्का मारा।
दर्द के मारे मेरे आँसू निकल आए।

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फिर वे रुक गए और मेरी आँसुओं को जीभ से साफ करने लगे, “आज देखो, चुदाई किसको कहते हो?” “यह कहते हुए वे हल्का सा धक्का मारा और आगे-पीछे करने लगे।

जब नीचे गीला-गीला पानी था, उन्होंने उसे पूरा निकाला और कसकर लंड अंदर डाला।
फिर बाहर निकलकर सेक्स करने लगे।

पूरे कमरे में मेरी सिसकारियाँ और “फट फिच फट” की आवाज़ गूँज रही थी।
मेरी चुदाई की आवाज चारों ओर फैल गई।

फिर उन्होंने कहा, “अब तुम करो।” ”

मैं अपनी कमर हिलाकर उनका लिंग अपनी चूत में लेने लगा।
वे मेरा दूध चूसने लगे।
मैं थक गया।

मैं कमर हिलाना छोड़ दिया।
वे नीचे से कूदने लगे।

मैं भी पूरी तरह खुश हो गया। हम एक-दूसरे में मिल गए।

मैं पूरे समय उनका साथ देता रहा।

“माल कहाँ गिराऊँ?” वे अचानक पूछा। “चूत के अंदर नहीं,” मैंने कहा। ”

तो उन्होंने मेरी नाभि पर पूरा रस डाला।
फिर साफ करके मेरे साथ लिपट गए।

Desi Xxx Chudai Story के बाद कुछ समय आराम करने के बाद बारिश भी थम गई।
कपड़े पहनकर मैं घर आ गया।

रास्ते में बारिश थम चुकी थी, लेकिन मेरे मन में एक अजीब सा उत्साह था।
क्या सब कुछ ठीक था?
या मैंने बारिश के माध्यम से अपनी इच्छाओं को उड़ा दिया?
मेरे घर तक ये प्रश्न पहुंचे, लेकिन अभी तक कोई उत्तर नहीं मिला।

दोस्तों आप सभी को Desi Xxx Chudai Story कैसी लगी हमें कमेंट में जरूर बताये ताकि हम आपके लिए ऐसी ही desi Kahani लेकर आते रहे।

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