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मेरी जिंदगी की पहली चुदाई ( First Oral Sex Story In Hindi )

First Oral Sex Story In Hindi में दोस्तों मुझे पहली चुदाई का मजा मिला मेरी सुहागरात को. मेरे होने वाले पति ने उसदिन मेरी चुत खूब चाटी और मेरी चुत से पानी निकल दिया।

दोस्तो, मैं आज आपके सामने आपकी xxx सेक्सी जुगनी की चुदाई की कहानी लेकर आयी हूँ।

मैं आपको इस हसीन और उत्तेजित सेक्स कहानी में अपनी पहली चुदाई की रंगीन कहानी सुनाऊँगी, जिसमें मैंने अपने शरीर की भूख को पहली बार शांत किया था।

प्रिय, मैं अपनी पहली ओरल सेक्स अनुभव की कहानी शुरू करने से पहले आपको अपने आकर्षक शरीर के बारे में बताती हूँ।

मैं सनी लियोनी की तरह सेक्सी हूँ और करीना की तरह साइज़ जीरो हूँ।
लेकिन मेरे चूचे और कूल्हे इतने बड़े और रसीले हैं कि हर कोई उन पर ध्यान देता है।

हर किसी का दिल मेरे मोटे, गोल कूल्हे से जलता है।

मेरे पति मुकेश भी मेरी भरी-भरी गांड को सहलाना और उसमें डूब जाना चाहता है।

मेरी गांड पहले पच्चीस इंच की थी, लेकिन अब तीस-बत्तीस इंच की है।
मेरे चूचे भी बहुत अच्छे हैं।
बड़े, भरपूर और इतने सुंदर कि देखते ही मुँह में पानी आता है।

दोस्तो, अब मैं अपनी रंगीन कहानी शुरू करती हूँ।

यह बात उस समय की है जब मैं एक छोटी, प्यारी कली की तरह थी, जो सिर्फ खिलने को थी।
मैं हॉस्टल में रहकर अपनी पढ़ाई पूरी कर रही थी।

मैं इस दौरान एक रिश्ता बनाया।

लड़का मुकेश कुमार था, जो हमारे दूर के रिश्तेदार भी थे।

मुकेश ने मुझे शायद किसी फंक्शन में देखा था, और मेरे इस सुंदर, उफनते शरीर ने उन्हें अपना दीवाना बना लिया था।

मैंने मुकेश की एक तस्वीर भी देखा था।
यह भी मुझे लगता था कि वे दिखने में ठीक-ठाक हैं।
उनकी लंबी, गठीली कद-काठी, चौड़ी छाती और मांसल शरीर को देखकर मेरा भी दिल थोड़ा धक्का लगा।

मुकेश भी तलाकशुदा थे।
लेकिन कुछ ऐसे हालात बन गए कि मुझे मुकेश से शादी करना अच्छा लगा।

जैसा कि हर लड़की सोचती है, मैंने भी सोचा कि मुकेश का लंड शायद पांच या छह इंच का होगा।

उस समय मैं सिर्फ अपनी सखी निशा को देखकर अपनी गांड में उंगली डालने का हल्का-सा अनुभव था।

अब निशा भी शादी कर चुकी थी।
मैं भी बिना बहुत सोचे-समझे शादी करने के लिए हां कर दिया।

लेकिन फिर न जाने क्यों मेरे मन में एक अजीब भय आ गया।
मैंने अपनी इस उलझन को अपनी सहेली निशा से बताया।

निशा ने हंसते हुए कहा, “जुगनी, देखो, शादी से पहले हर कोई डरता है।” मैं भी ऐसा सोचा था, लेकिन सब कुछ इतना रोमांचक हो गया कि मेरा डर दूर हो गया। धीरे-धीरे सब अच्छा लगने लगेगा।

निशा की बातों से मेरा डर कम हुआ और फिर शादी का दिन भी आ गया।
मुकेश और मैं आखिरकार शादी कर लिया।

मैं अपने कमरे में घबराहट से बैठी थी, सोच रही थी कि मेरे पति मुकेश मेरे साथ क्या करेंगे।

मुकेश ने तभी दरवाजा खोला और अंदर गए।
दरवाजा बंद होते ही वे धीरे-धीरे मेरे पास आए।

मेरा घूंघट उठा कर वे मुझे अपनी बांहों में भर लिया।
मेरे साथ प्यार से बातें करते हुए उन्होंने मेरा घूंघट उतारा और मेरे कपड़े धीरे-धीरे उतारने लगे।

मैं डर गया।
मैंने कहा कि यह अच्छा नहीं है। पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था।

“जुगनी, मेरी जान…” मुकेश ने मेरे गालों को चूमते हुए कहा। आप बेकार डर रहे हैं। मैं सब कुछ इतने प्यार से और आराम से करूँगा कि तुम्हें दर्द नहीं होगा, बल्कि खुशी होगी।

ठीक है, मेरे राजा, मैं तैयार हूँ, मैंने शर्माते हुए कहा।

फिर मुकेश ने मेरे सारे कपड़े धीरे-धीरे उतार दिए।
अब मैं सिर्फ चड्डी में उनके सामने थी।

मेरे पूरे शरीर को चूमना शुरू कर दिया।
मेरे शरीर में एक आग सी फैलने लगी।

मैंने अपनी छाती से उन्हें कसकर चिपका लिया।
तब मुकेश ने भी मेरी चड्डी उतार दी।
मैं बहुत शर्मिंदा था।

मैंने दोनों हाथों से अपनी लाडो रानी, यानी अपनी चूत को ढक लिया।
मुकेश ने धीरे से मेरे हाथों को चूमकर हटा दिया।

मैंने उसे कभी साफ नहीं किया था, इसलिए मेरी चूत पर घने बाल थे।

मुकेश हंस पड़ा।
जुगनी, क्या हुआ?

मैंने शर्माकर अपने कान पकड़ लिए और कहा कि मुझे अपनी चूत साफ करना नहीं आता, राजा।
“कोई बात नहीं, लाओ, मैं साफ कर देता हूँ,” वे प्यार से कहा।

नहीं, रहने दीजिए, कहीं कट न जाए, मैं डर गया।
“मेरी रानी, तुम्हें कुछ नहीं होगा,” मुकेश ने कहा, मेरे होंठों पर एक गहरा चुम्बन देते हुए।

मैं उन्हें राजा कहता था और वे मुझे प्यार से रानी कहते थे।
मैंने उत्तर दिया: ठीक है।

फिर उठे और अपनी मशीन ले आए।
दो मिनट में उन्होंने मखमल की तरह मेरी चूत को चिकना कर दिया।

अब मेरी क्लीन शेव चूत और भी सुंदर दिखती थी।

मुकेश ने झांटों को साफ करने के बाद मेरे दोनों पैरों को फैलाया।
उन्होंने ठंडी वाइन और थोड़ा-सा शहद मेरी चूत पर लगाया क्योंकि मुझे कुछ जलन हुई थी।
मुझे इससे राहत मिली।

फिर उन्होंने मेरी चूत में अपनी जीभ डाल दी।
मैं उनकी नुकीली मूंछों से गुदगुदा रहा था।

मदहोश करने वाली आवाज़ें, जैसे “आह… उह… सीस…” मेरे मुँह से निकलने लगीं।
मेरी पहली बार किसी ने मेरी चूत को छुआ।

मेरी चूत में चींटियां रेंग रही थीं।

मैंने अचानक मुकेश का सिर पकड़ लिया और उसका सिर अपनी चूत में गहराई से दबा दिया।
थोड़ी देर बाद मैं झड़ गयी।

उसने मेरी चूत का सारा रस पी लिया और मुझे भी कुछ चखाया।

दोस्तो, मैं अपनी चूत के रस का स्वाद पहली बार था।
एकदम मीठा और एक हल्का-सा खट्टा स्वाद।

जैसे वे मेरी हर नस को निचोड़ देना चाहते हों, उन्होंने मेरी चूत में उंगली डालकर और भी रस निकाला।

मैं बार-बार कहती रही, आह जानू..। मेरे राजा, मैं दुखी हूँ।
लेकिन मेरी एक भी नहीं सुनी।

उनके चेहरे पर एक शरारती मुस्कान थी, जैसे वह मेरे होंठों से निकली हर सिसकी को फिर से भड़काना चाहते हों।
मैं जानता था कि मुझे पूरी तरह खुश करके ही ये खत्म होंगे।

तो मैं भी हार मान गयी और अपने शरीर को उनके हवाले कर दिया।

मुकेश ने अपनी दो मोटी, सख्त उंगलियां मेरी सुंदर चूत में डाल दीं, जब मैं सिर्फ एक उंगली डालकर खुश हो जाती थी।

उनकी लंबी और शक्तिशाली उंगलियों ने मेरी सांसें ही रोक दीं।
मैंने सोचा कि मेरी चूत अभी फट जाएगी और मेरा पूरा शरीर फट जाएगा।

मेरे शरीर में उनकी प्रत्येक कार्रवाई से आग लग गई..। और फिर मैं बुरी तरह झड़ गयी।

जैसे कोई नदी उफान पर आ गई हो, मेरी चूत का रस बेकाबू होकर पूरे बिस्तर पर फैल गया।

अब गीला कपड़ा बर्दाश्त नहीं था, इसलिए हम दोनों ने हंसते हुए जल्दी से बिस्तर बदल लिया।

बिस्तर साफ करने के बाद मुकेश ने शरारत से मुझे देखा।

मेरे दिल में एक नई उत्तेजना जाग उठी जब मैंने पानी निकालने की बारी ली।

मैं इतने में ही पूरी तरह से संतुष्ट हो गया था और अब मैं खुश हूँ कि अब मैं इनके लंड देख सकूँगा।

मैंने सोचा कि इनका लंड ५ या ६ इंच का होगा।

मैंने मुकेश की चड्डी और पैंट को जल्दी उतारा, लेकिन फिर क्या हुआ? मुकेश का काला और जरूरत से ज्यादा लम्बा और मोटा लंड था।
यह देखकर मेरी गांड फट गई। मुकेश का लंड, एक गधे के लंड की तरह, मेरी उम्मीद से दुगना था।

लेकिन मेरी चूत की फांक शायद चार इंच की थी।
मैं डर गया।

मुकेश, मैं तुम्हें इतना बड़ा मुँह नहीं ले पाऊंगा, मैं डर गया। मुँह फट जाएगा।

मुकेश ने मेरे होंठों को चूमते हुए कहा, “जुगनी मेरी जान, तुम बेकार में डर रही हो. मैंने अब तक बहुत सारी लड़कियों को अपने इसी लिंग से चोदा है और उन्हें मां बनाया है।” फिक्र मत करो; आपको कुछ नहीं होगा। हां, आपको कुछ दर्द होगा क्योंकि यह आपकी पहली बार है। लेकिन बाद में मज़ा आएगा।

मैं किसी तरह तैयार हो गयी; मैं तैयार नहीं होने का कोई विकल्प नहीं था।

दोस्तो, मुझे यकीन है कि मैं नहीं जानता कि कब उन्होंने मेरा हाथ अपने मोटे, क्रिकेट के विकेट जैसे लंड पर रखा था।

मुकेश ने मेरा हाथ पकड़ा हुआ था ताकि मैं उसे कहीं नहीं हटा सकता था।
अब मुझे भी मुकेश के लंड को धीरे-धीरे मसलने में मज़ा आने लगा।
लौड़े को मुँह में भरने का संकेत करते हुए उन्होंने मेरी ठुड्डी को ऊपर उठाया।

फिर मैंने धीरे से अपने होंठों को लंड से छुआ, उनकी आंखों में देखते हुए।
मैं फिर भी भयभीत थी। मैंने सोचा कि इनका लंड मेरे गले तक नहीं जाएगा।

लौड़े के चिकने सुपारे के रस ने मेरी जीभ में मज़ा दिया, तो मैंने उनकी आंखें हटाईं और पूरा ध्यान लंड चूसने में लगा दिया।
मैं तब भी भयभीत थी।
डर और उत्तेजना मेरे शरीर में दौड़ रहे थे, मेरा दिल तेज धड़क रहा था।

मैं डर गया था, लेकिन उन्होंने मुझसे कहा कि तुम्हें कोई दर्द नहीं होगा।
मैंने उनकी बातों पर भरोसा करते हुए धीरे-धीरे उनके लंड को अपने मुँह में लिया।

लंड लेने का पहला मौका था।

शुरू में मुझे लगा कि ये सब कुछ अजीब था, जैसे मेरी जीभ और होंठ नहीं जानते थे कि क्या करना है।
लेकिन थोड़ी देर बाद मेरे पहले ओरल सेक्स अनुभव में मुझे मज़ा आने लगा।

लॉलीपॉप की तरह, मैं धीरे-धीरे उनके स्वाद और गर्मी को चूसने लगा।

तभी मुकेश ने अचानक मेरे सिर को ज़ोर से धक्का दिया।
मेरे मुँह में उनका पूरा लंड उतर गया।
मैं घबरा गया, मेरी सांसें रुक गईं।

उन्होंने मेरे सिर को पीछे से कसकर पकड़ रखा, हालांकि मैं इसे निकालना चाहती थी।
मैं सिर्फ “गु… गु…” की आवाज निकाल पा रही थी।

फिर मुझे उनके लिंग को चाटने में मज़ा आने लगा।

मैं उसे अपने मुँह में घुमाने लगी, जैसे मेरे होंठ हर नस को सहला रहे हों।

थोड़ी देर बाद मुकेश ने अपना स्थान बदल लिया।
मुझे बिस्तर पर लिटाकर मेरे ऊपर बैठ गए।

वह फिर से मेरी चूत चाटने लगे और फिर से अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया।
मेरी चूत की फांकों में उनकी जीभ ऐसे घूमती थी जैसे कोई जादू कर रहा हो।

हम दोनों पति-पत्नी इस शराब में डूबे हुए थे..। रोमांच चरम पर था।

मैं लगभग आधे घंटे की इस चुसाई के बाद झड़ गया।
बिस्तर पूरी तरह से मेरी चूत से पानी बहने लगा।
लेकिन मुकेश अभी भी झड़ा नहीं था।

मेरे मुँह में दर्द होने लगा था और मेरे होंठ सूख गए थे।

अब तुम अपने हाथों से इसे हिलाओ और मेरा पानी निकालो, मुकेश ने कहा और धीरे-धीरे अपना लंड मेरे मुँह से निकाला।
मैंने अपने नाज़ुक हाथों में उनके बड़े लंड को थाम लिया और उसे हिलाने लगा।

उनका सांस तेज होने लगा।

जब वे झड़ने वाले थे, उन्होंने फिर मेरे मुँह में अपना लंड डाल दिया।
मेरे मुँह में उनका सारा माल भर गया।

लंड निकालते ही मैंने पूछा, “छी, आपने क्या किया?” ’

मुकेश ने मुझे चूमकर पूछा कि मेरा रस कैसा लगा?
मैंने शर्माते हुए कहा कि यह बहुत मीठा और थोड़ा खट्टा था।

मेरे मम्मों पर भी उनका कुछ सामान गिरा।
उन्होंने अपनी जीभ से मेरे मम्मों के रस को चाटकर साफ किया, और मैंने उनके लंड को चाटकर साफ किया।

मैंने देखा कि उनका नाग, यानी लंड, गिर गया था।

मैंने हिम्मत करके उनकी गांड छुआ और उनके टट्टों को सहलाया, फिर से उनका लंड तनकर खड़ा हुआ।

वह घड़ी आ ही गई थी, जब मुझे चुदाई करनी पड़ी।

भय और उत्तेजना दोनों मेरे दिल में छा गए।

प्रिय, यह अभी के लिए इतना ही।

मैं अपनी कहानी के अगले भाग में आप लोगों को बताऊंगी कि मेरे पति मुकेश ने मुझे चुदाई करने के लिए किस तरह मनाया।

आप लोगों को मेरा First Oral Sex Story In Hindi कैसा लगा, मुझे नीचे कमेंट में जरूर बताना।

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