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विधवा मां की वासना चोद कर शांत की ( Xxx Maa Sex House Kahani )

Xxx Maa Sex House Kahani में मेरे पिता की युवावस्था में मृत्यु के बाद, उनके शरीर ने उन्हें लंड खोर बना दिया। इसी क्रम में उनकी एक बेटी भी हुई। इसके बाद क्या हुआ?

दोस्तो, ये दिल को छूने वाली सेक्स कहानी मैंने खुद लिखी है।
मैंने इसमें बताने की कोशिश की है कि एक पढ़ी-लिखी युवा लड़की अपनी परिस्थितियों के चलते कैसे रंडी बन जाती है!

यह Xxx Maa Sex House Kahani है जब मेरी मां एक योग्य, बुद्धिमान और सुंदर लड़की थी।
मेरे पापा भी एमबीए कर चुके थे और बहुत तेज थे।

हार्डवेयर स्टोर चलाकर उन्होंने आठ साल तक अच्छी कमाई की और फिर एक आधुनिक, दिलकश और सुंदर लड़की से शादी कर ली—मेरी मां।

मैंने उस समय की तस्वीर देखी है, जिसमें मां की पतली कमर 30 इंच की थी, 34 इंच की उभरी हुई चूचियां थीं और 36 इंच की गोल गांड थी, जो पीछे से उठी हुई थी।
सब कुछ इतना दिलचस्प है कि देखने वाले मदहोश हो जाते हैं।

उन दोनों ने शादी के चार साल तक चुदाई की।
फिर मैं हुआ।

पापा मुझे बहुत प्यार करते थे, मुझे अपने पास रखते थे, मुझे समय देते थे।

लेकिन एक साल बाद वे मर गए।
क्या, क्यों..। आज भी मुझे यह रहस्य है।

दुकान दस महीने तक बंद रही।
मैं 18 साल का था जब मैंने अपनी मां को चुदते हुए देखकर सारी कहानी समझी।

मां ने पिता की मृत्यु के दस महीने बाद दुकान फिर से खोली।
मां भी दुकान पर रहती थी।

एक साल तक दुकान में ग्राहक बहुत कम आते थे, लेकिन फिर एक कॉन्ट्रैक्टर, एक हार्डवेयर ऑब्जेक्ट का ग्राहक, मां के लिए फरिश्ता बनकर आया।

उसने अपने जानने वालों को दुकान पर लाकर मां को सहारा दिया।
दुकान में सेल की संख्या बढ़ने लगी और दिन-प्रतिदिन ग्राहक आने लगे।

मेरी मां को उसका अहसान कुछ ही समय बाद समझ आया।
वह धीरे-धीरे मां को छूने लगा, उनके गले लगाने, चूचियों को दबाने, गांड सहलाने लगे।

मेरी मां भी शायद प्यासी थीं और उनके सामने मेरा पालन-पोषण बहुत महत्वपूर्ण था, इसलिए वे भी इसी तरह बहने लगी।

मैं बचपन की कुछ धुंधली यादें आज भी याद हैं।
मां उसके साथ कार में बैठकर जाने लगी।

उस कॉन्ट्रैक्टर ने दुकान पर काम करने वाले दो लोगों की देखभाल मैं करता था।
वह शाम को सात बजे अपनी मां को वापस लाता था।

दिन में दोपहर 12 बजे से शाम 7 बजे तक मां उसके साथ समय बिताती थीं।
वह अपनी मां को चोदने लगा, जिससे मां भी खुश होने लगी।

उसकी माँ उससे प्यार करने लगी।
लेकिन वह पहले से ही शादीशुदा था, इसलिए मां से शादी नहीं करना चाहता था।

उसकी बीवी एक पुरानी बीमारी से पीड़ित थी।
उसका शरीर कमजोर हो गया और वह बिस्तर पर पड़ी रहती थी।

उसकी माँ शादी करने के लिए कहने लगी, लेकिन उसने मना कर दिया।

उसने कहा कि चार साल से मैं शारीरिक संबंधों से दूर हूँ। मैं हर किसी को बदनाम नहीं करता।

उस बुद्धिमान आदमी से माँ खुश थी। हर दिन वे उसके साथ कार में जातीं और शाम 7 बजे तक ऐश और चुदाई खेलती रहतीं।

धीरे-धीरे मुझे पता चला कि वह आदमी मेरी मां को हर दिन दो बार चोदता था।

वह सुबह की थकान दूर करता और शाम की आग बुझाता।

फिर एक दिन हार्डवेयर पार्ट्स का एक खरीददार आया।

उसने उस कॉन्ट्रैक्टर के साथ अपनी मां को चुदाई करते देखा।
तब से मां का दुर्भाग्य शुरू हुआ।

मां की बीमार पत्नी को उसका प्रेमी कॉन्ट्रैक्टर साउथ इंडिया के किसी हॉस्पिटल में इलाज करने के लिए ले गया।
वह एक साल से अधिक समय से वापस नहीं आया।

तभी दूसरा व्यक्ति, जिसने अपनी मां को चुदते देखा, इससे लाभ उठाया।

वह अपनी मां से कहा, “तुम बेहद सुंदर हो, सुंदरता की मल्लिका सी हो।” इतनी छोटी उम्र में विधवा होना कितना दुःखद है। मैंने आपको उसके साथ सेक्स करते देखा।

हर लड़की की चूत में आग लगती है, और आप जैसी जवान और सुंदर महिला के लिए ये दर्द और भी गहरा है।

मां बस “हूँ-हूँ” करती रही और सुनती रही।
फिर उसने साहस करके मां को अपनी बांहों में दबोच लिया।

वह अपनी मां की चूचियों को मसलता रहा, उनकी गांड से अपने लंड को रगड़ता रहा, जबकि उसकी सांसें तेज होने लगीं।
तुम इतनी खूबसूरत हो कि मुझे भी चोदने दो! मैंने उस आदमी को आपकी चुदाई करते देखा था, अब मेरी बारी है।

उस आदमी की आंखों में हवस नाच रही थी, और माँ गर्म हो गई।

शॉप के पीछे बने रेस्ट रूम में उसे मां ले गईं।

वे बहुत देर तक बाहर नहीं आए, इसलिए मैं उन्हें देखने गया।

उस समय मैं बहुत छोटा था।
तब भी मां की चुदाई का वह दृश्य मेरे मन में आज भी है।

अब शुरू हुआ खेल रोज़ का खेल बन गया, हर दिन चुदाई होती।
एक दिन मां ने कहा कि देखो, हर दिन यहाँ नहीं रहना चाहिए। कोई और स्थान खोजें।

अगले दिन से वह अपनी मां को कार में ले जाना शुरू कर दिया।
होटल की चारदीवारी में और अधिक लोगों का ध्यान मां के शरीर पर पड़ने लगा।

आदमी ने अपनी मां को दूसरों से शेयर करने लगा।

अब तक मां ने सिर्फ तीन लंडों से चुदी थी, लेकिन अब हर दिन एक नया लंड उनकी चूत को चूमने लगा।

कभी-कभी माँ पूरी रात घर नहीं आती थी।
रात भर वे मर्दों की बांहों में मचलते रहे।

लेकिन दूसरी तरफ, हमारे घर में पैसे भी बह रहे थे।

गिनती करना मुश्किल था क्योंकि चुदाई के पैसे इतने आ रहे थे।
इससे मां खुश थीं।

हमारे परिवार को पैसे की चमक और लंड का नशा बिस्तर में मस्त कर रहा था।

अब माँ को चुदाई का धंधा लज़्ज़त देने लगा।

फिर मां एक बार गर्भवती हो गई।
मैं अच्छी तरह से याद रखता हूँ जब मेरी मां ने मुझे बताया कि तुम्हारा भाई आने वाला है!

एक महीने और दो महीने तक चुदाई का उत्सव चलता रहा।

वह आदमी हर रात अपनी हवस को मां के साथ जलाता है।
लेकिन फिर उसकी कार अचानक चलने लगी।

शायद उसे फँसने का डर सताने लगा था, इसलिए उसने मां को अपनी जिंदगी से ऐसे निकाल दिया, जैसे कोई चीज छोड़ देता है।

जब मेरी बहन का जन्म हुआ, घर में उसका शोर मच गया।

बहन के आने के एक महीने बाद मां फिर से बेचैन हो गई।
उनका आत्मिक भूख जाग गया था।

मां ग्राहकों की खोज में निकल पड़ी।
किस्मत उनके साथ होती, लेकिन कभी-कभी वे अकेले रह जाते हैं।

ऐसे ही छह महीने गुजरते गए, फिर मां ने एक समूह में शामिल हो गया।

उसकी विरोधी औरत ने उसे बताया कि आज उस होटल में फलाँ नंबर का कमरा है।
फिर क्या हुआ? धंधा हर दिन रंग बदलने लगी। वह एक पुरुष के साथ एक रात बिताती, तो दूसरी रात चार पुरुषों की हवस का शिकार होती।

अब मेरी मां पूरी तरह से पैसे के लिए रंडी बन गई, उसकी शर्म और नजाकत कहीं खो गई।

एक बार पुलिस की रेड हुई और मां को पकड़ लिया गया।

मैंने किसी की मदद से मां को मुक्त करवाया, जिसमें मैंने हर संभव खर्च किया।

जिसने मदद की, वह धीरे-धीरे घर में शामिल हो गया।
दो साल तक उसने अपने रंगों से मां का शरीर रंगा और हर रात उसे अपनी बांहों में रखा।

लेकिन एक दिन उसकी बीवी ने सवाल उठाया।
उसकी पत्नी ने हमारे घर में रोया और गाली दी।

मां को उससे अलग होना पड़ा, लेकिन उसकी चुत अभी ठंडी कहां हुई?

जबकि उनकी माँ उस आदमी से अलग हो गई, उनको एक आदमी का लंड चाहिए था।

दुकान पर काम करने वाले सोनू को घर में मदद के बहाने से फोन करने लगे।
मेरी मां को कुछ ही दिनों बाद दुकान का नौकर सोनू चोदने लगा।

अब तक मैं बहुत जवान था।
सोनू भी एक युवा था।

उस समय मेरी बहन युवा होने वाली थी।
मेरी बहन ने सोनू से चुदवाते देखा था।

वास्तव में, मां के कमरे का दरवाजा कुछ टूटा हुआ था, इसलिए मेरी बहन अंदर झांककर मां की चुदाई देखती थी।

मैं अपने कमरे से सोनू और मां की चुदाई भी देखता था।
मैं किसी भी तरह से मां की चुदाई करना चाहता था।

मेरे कमरे में मेरी बहन मेरे साथ सोती थी।
मैं अपनी माँ की चुदाई देखकर तनतना गया।

बहन भी उत्साहित थी।
रात भर मैं अपनी बहन को सहलाता था, उसकी चूचियों को सहलाता था और उसकी बुर को रगड़ता था।

30 इंच के रस से मेरी बहन की चूचियां भर गईं।

28 इंच की लचकती कमर और 34 इंच की उठी हुई गांड बहुत कामुक लगने लगी।

मैंने अपनी बहन की चड्डी में हाथ डालकर कई बार देखा था।
उसकी बुर पर छोटे, हल्के रेशमी झांटे उगने लगे।

एक दिन, मैंने मां से कुछ पैसे लिए और सोनू की मदद से एक और दुकान खोली।

उस दुकान को पाने में काफी समय लग गया।
मैं अब अपने व्यापार को पंख लगाने के लिए काबिल हो गया था, जब मैं इतनी मेहनत और जुनून का पसीना बहा चुका था।

सोनू भी मेरे साथ था।
मैं उससे बहुत प्यार करता था।
हम दोनों ने शराब पीकर ब्लू फिल्म देखी।

इधर मेरी बहन युवा हो चुकी थी।
नई दुकान के उद्घाटन की घोषणा करनी थी।

बहन का जन्मदिन दो महीने बाद था, इसलिए हमने तय किया कि फीता दो महीने बाद काटा जाएगा।

जब दूसरे दिन उद्घाटन था, पहली रात को सोनू ने दारू पीते हुए पूछा कि क्या मैंने कभी किसी की बुर चोदी है?
मैंने शर्माकर कहा: नहीं!

मैंने तो तेरी मां की बुर को कई बार रगड़ा है, उसने हँसते हुए कहा। तुम भी चाहते हो तो बोल? क्या मनोरंजन है?
मैं हैरान हो गया और पूछा, वह कैसे होगा?

मैं तुम्हारी मां को तैयार कर दूँगा अगर वह सब मेरे ऊपर छोड़ दे।

फिर उसने अपनी मां से कहा, “मैडम, दुकान का उद्घाटन होने पर मैं, आपका बेटा दीपू और आपकी बेटी मीनू मिलकर काम करेंगे।”

हवस का संकेत देते हुए, उसने मां को उंगलियों से घपाघप करने का संकेत दिया।
नशीली मुस्कान के साथ मां ने कहा—ठीक है, कर लेना!

दूसरे दिन उद्घाटन हुआ।
दुकान पर पूजा हुई, मिठाइयां बँटीं, सब कुछ अच्छा रहा।

मैं शाम पांच बजे दुकान बंद करके घर लौटा तो मां को दुल्हन की तरह सजाकर देखा।

मां ब्यूटी क्वीन की तरह दिखती थीं, पूरा मेकअप लगाकर, मानो फिर से युवा हों।

बहन सुंदर और सुंदर ब्लाउज़, टी-शर्ट और स्कर्ट में थी।
मां का चेहरा तो गजब था।

तभी सोनू ने मां को पीछे से पकड़ा, उनकी गांड के पीछे अपना लंड सटाया और उनकी चूचियों को कसकर पकड़ लिया।
सोनू, रूम में चलो, मां ने कामुक स्वर में कहा।

सोनू ने मां को अपनी कठोर बांहों में उठाया और बिस्तर पर ले गया।

वहाँ उसने मुझसे कहा, “दीपू, मां को खोलो!” आज तुम्हारे लिए मेरी मां की चूचियां और चूत!

सोनू, ड्रेस खराब हो जाएगा, माँ ने हल्के से विरोध किया।
सोनू ने कहा, “मैं आज दो लंड से चुदाई करूँगा।” दीपू और मैं दोनों लेंगे। तुम जाओ, दीपू, मां को अपना लिंग दे दो!

मैं अपने कपड़े उतारकर पूरी तरह से नंगा हो गया।
माँ ने घर को यौन घर बना दिया।
उन्होंने अपनी सारी शर्म छोड़ दी और नंगी हो गईं।

सोनू पहले से ही नग्न था।
बहन सब कुछ देख रही थी।

मां के मुँह में लंड डालते-डालते मेरा मन बुर में घुसने की इच्छा होगी।

मैंने सोनू की गीली बुर पर अपना लंड रगड़ना शुरू किया जब वह चाटना बंद कर दिया।

तब बहन ने पूछा: भैया, तुम्हारा लंड इतना बड़ा है कि घुसा सकेगा?
मैंने कहा कि देखो, मैं घुसा दूँगा।

मां की गीली बुर में लंड घुस गया जब मैंने उसे ठेला।
मैं उत्तेजित होकर चुत चोदने लगा।

मां की चुत में मेरा रस दस बीस धक्के में टपक गया।
मां क्रोधित हो गई।

सोनू ने कहा, मैडम, नया लड़का पहली बार चोदने पर ऐसा ही होता है!
मैं शर्म से सर झुकाकर अपनी बहन के साथ अपने कमरे में आ गया।

सोनू उठकर मां की बुर में लंड डाल दिया।
बहन के साथ मैं उदास और निराश लेटा था।

बहन ने मेरे गले में हाथ डाला।
उसकी चूचियों की गर्मी ने मुझे उत्साहित कर दिया।
मीनू, मैं ठीक से चोदूंगा, तुम चोदने दो, मैंने कहा।
मीनू ने कहा कि मैं सुबह से तैयार हूँ।

वह अपने कपड़े उतारकर नंगी हो गई और मेरा वीर्य चूसने लगी।
मैं अपनी बहन की चूची को दबाने लगे।

मीनू, चल क्रीम लेकर आ जा!

मीनू क्रीम लाया।

मैंने कहा, मीनू, मेरे लिंग पर क्रीम लगाओ!
मैं उसकी चूचियों को पीने लगा जब वह लंड की मालिश करने लगी।

वह अपनी बुर पर क्रीम लगाने लगी।
जब मीनू गर्म हो गया, तो वह आ आ करने लगी।

मीनू को लिटाकर मैं उसकी बुर पर आ गया।
उसने घुटनों पर बैठकर दोनों जांघों के बीच अपना लंड ठेल लिया।
चुत की फाँकों में लंड फँस गया।

मैं अपने दोनों पैर फैलाकर बहन के पेट पर चढ़ गया।

उसकी सांसें इतनी तेज थीं कि मानो हवा में एक भयानक तूफान चल रहा हो।
मैं तैयार था। जैसे आग का गोला छूटा, पहले एक धक्का, फिर दो और फिर तीसरा धक्का।

मीनू क्रीम लाया।

“आह आ आ…” बहन चिल्लाई, उसकी आवाज़ में दर्द और उत्तेजना का मिश्रण था। आह्ह..। नहीं चलो..। मुझे नहीं करना चाहिए! ’

कमरे में उसका शोर सुनाई देता था।
मैं रुक गया और उसकी सांसों को थमने दिया।

मम्मी ने बाहर से पूछा: क्या हुआ?

उद्घाटन हो रहा है, मैंने हँसते हुए कहा।
माँ चुपचाप चली गई।

फिर मैंने बहन की ओर देखा, जिसकी आंखों में एक अजीब सा उत्साह दिखाई देता था।
मैंने कहा, “तुम्हारी सील टूट गई, अब कुछ समय बाद मज़ा आएगा।” मैंने उसके होंठों पर एक-एक चुम्मा लिया, जैसे मैं मिठास चुरा रहा हूँ।
मैंने बहन की चुत में लंड डाला।

वह हौले-हौले हिलता रहा और उसकी गर्म चुत को चूमता रहा।

जब उसने अपने हाथों से मुझे मारना शुरू किया, ठप-ठप, तब मुझे पता चला कि वह अब शांत हो गई है।

मैंने लंड पर तेल लगाकर धीरे-धीरे घुसेड़ दिया।
तेल की चिकनाहट के साथ मैंने एक बार फिर अपना लंड घुसाया।
वह रोई, फिर शांत हो गई।

फिर मैंने चुदाई शुरू की। वह अपना पूरा लंड उसकी चूत में डालकर बाहर निकाल दी।
वह भी खुश हो गई।

मीनू, मैंने कहा, “पूरा लंड तेरी चूत में घुस गया है!”
मीनू की सांसें तेज हो गईं जब वह अपनी उंगली से लंड को टटोला।

मैंने फिर से उसे चोदना शुरू किया।

वह दस मिनट तक बार-बार अपनी चुत की गहराई में लंड को गोता खिलाता रहा।

मीनू की मादक आवाज़ें, “सी सी सी… उह्ह उह्ह आ आह… ईयीई आह…” पूरे कमरे में संगीत की तरह गूंज रही थीं जब वे चुदाई कर रहे थे।
मेरा लंड अंदर-बाहर, ढकधक, फचफच, घचाघच रहा था।

हर धक्के से उसका शरीर थरथराने लगा।
मीनू ने कहा, “आह भैया ओह… पूरी तरह से पेलो आह ओह और ज़ोर से चोदो।”

उसकी आवाज़ मादक थी।
मैं भकभक पेलने लगा, बहन की गांड ऊपर-नीचे करते हुए, लंड ढकधक करते हुए। हर धक्का एक ज्वालामुखी की उत्पत्ति करता था।

उसकी चुत को चूसते हुए मेरा वीर्य निकल गया।

मैं भी उसके ऊपर ढह गया जब बहन शांत हो गई।
उसकी चूत में मेरा लंड अभी भी डूबा हुआ था।

कुछ मिनट बाद बहन ने कहा, “बहुत मज़ा आया भैया, फिर से नहीं चोदो।” तब सो जाएंगे।
मैंने कहा कि अब नहीं सो जाओ; सुबह फिर से चुदाई होगी।

किंतु मेरी बहन ने नहीं मानी और अपने घुटनों को फैलाया।
वह पेट के बल लेट गई और अपनी नंगी टाँगें लंबी कर दीं।

चाँदनी में उसकी पीठ की गोलाई चमक रही थी।
उसकी गांड देखकर मेरा लंड फिर से तैयार हो गया।

मैंने लंड को पकड़ा और वापस से तेज धक्का दिया।

मैंने उसकी आवाज सुनकर लगातार धक्के मारना शुरू कर दिया।

धक्का ऐसा लगने लगा, जैसे बिजली का झटका लगता है।

मेरी बहन एक बार फिर चिल्ला उठी, “आह आह ओह्ह आह्ह नहीं!”

उसके स्वर में मादक कशिश थी।
मैं उसकी सिसकारियों को सुनकर रुक गया।

मम्मी ने बाहर से पूछा: क्या हुआ?
फिर मैंने वही उत्तर दिया: खुलासा!
माँ चुपचाप चली गई।

मैंने बहन को देखा, अब उसकी आंखों में दर्द का भाव था।
मैंने कहा, “तुम्हारी सील टूट गई, अब मनोरंजन होगा!”

मैंने बार-बार उसके होंठों को चूमा, जैसे मैं शहद की मिठास चाट रहा हूँ।

जब मैंने लंड को अंदर डाला, तो वह गर्म हो गया।

मुझे लगता था कि वह अब तैयार है जब उसने अपने हाथों से मुझे टहोका।

मैंने लंड को बाहर निकाला, तेल लगाया और धीरे-धीरे घुसा दिया।
वह आह करके कराही, लेकिन फिर शांत हो गई। तेल की अधिक चिकनाहट के साथ, इस बार मेरा लंड और गहरा हो गया।

फिर धकाधक शुरू हुआ और पूरा लंड उसकी चूत की जड़ में घुस गया।
मैंने कहा, मीनू, तुम्हारी चूत में पूरा लंड है!

हां, यह मेरी बच्चेदानी में घुस गया है, मीनू ने उंगली से छुआ।

उफान पर मेरी बहन की गर्म सांसें थीं। मैंने उसे चोदना शुरू कर दिया।
मैं उसकी चुत में कुछ मिनट तक डूबा रहा।

कमरे में चुदाई के दौरान मीनू की सिसकारियां गूंजती रहीं और एक नशीले संगीत से भर रहा था।
उसकी आवाजों से मेरा लंड ताल मिला रहा था।

तुरंत मीनू उठकर कहा, “आह भैया ओह… जोर से पेलो।” पूरी तरह से घुस जाओ..। ओह, ज़ोर से चोदो..। मैं सिर्फ चला गया!
उसकी पुकार चमत्कारी थी।

बहन की गांड ऊपर-नीचे होने लगी, जब मैं भकाभक पेलने लगा।
लंड निरंतर ठोकर मारता रहा। हर धक्के से तूफान उठता था।

मैंने चुत में वीर्य निकालते ही चुद लिया।
मैं भी उसके ऊपर लेट गया जब बहन शांत हो गई।

उसकी चूत में मेरा लंड ढीला हो गया।

कुछ मिनट के बाद बहन ने कहा, “इस बार पहली बार से ज्यादा मज़ा आया भैया।”

मैंने कहा कि बहुत रात हो गई है, सो जाओ।
हां, उसने कहा..। क्या आप भी बाहर मां की प्रतीक्षा करेंगे?

मैंने अपनी बहन को देखा और हंसते हुए कहा कि मैं अब कल अपनी रंडी मां की चुदाई करूँगा।
हां, बहन अब हर दिन चुदेगी, मीनू ने कहा।

दोस्तो, यह सच है कि कोई कहानी सिर्फ सेक्स की नहीं है।

Xxx Maa Sex House Kahani आपको अच्छी लगी या नहीं … कमेंट जरूर लिखना. जीवन की असली सत्यता है.

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